वन उपवन मग गिरि गृह माहीं, तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं । तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करै हनुमान॥ नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥ निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूँ लोक फैली उजियारी॥ उठु उठु चलु तोहि राम दुहाई, पांय परौं कर जोरि मनाई । https://triplexdirectory.com/listings13073831/a-simple-key-for-hanuman-chalisa-unveiled